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अब कहाें कलिजुग के

अब कहाें कलिजुग के, उन्नीस कहे द्वापर ।

उनतीस त्रैताके कहे, सत्रह सतजुग पर ।।

काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निंद्रा तथैव च । अल्पाहारी, सदाचारी एतद विद्यार्थिन पंच लक्षणं ।।...read more

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