सतगुरु ब्रह्मानन्द है, सुत्र है अक्षररुप ।
शिखा सदा इनसे परे, चैतन्य चिद जो अनुप ।।
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काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निंद्रा तथैव च । अल्पाहारी, सदाचारी एतद विद्यार्थिन पंच लक्षणं ।।...read more
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